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बिजनेस

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है, पूरा प्रोसेस

Harshit Mishra
Last updated: 20/01/2025 5:36 pm
Harshit Mishra
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पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है
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पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है किस तरह बिजली हमारे घरों तक पहुंचाई जाती है दोस्तों एक टाइम हुआ करता था जब लोग लालटेन जलाकर काम चला लेते थे लेकिन आज लालटेन तो दूर की बात है पंखे से भी काम नहीं चलता साहब लोग बिना एसी के सांस भी नहीं ले पाते बिजली हमारे लिए इतनी ज्यादा जरूरी हो गई है कि एक दिन अगर किसी के घर की बिजली चली जाए तो पूरा घर बेहाल हो जाता है

Contents
पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है ?इस तरीके से पानी से बिजली बनायी जाती हैहाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट में पानी से बिजली कैसे बनती हैडैम क्या होता है ?पेन स्टॉक क्या है ?वाटर टरबाइन किसे कहते हैजनरेटर किसे कहते है

दुनिया थम सी जाती है लोग पागलों की तरह रिएक्ट करने लगते हैं और यह सब कुछ इलेक्ट्रिसिटी के कटने की वजह से होता है यानी कि बिजली हमारी सोच से भी ज्यादा जरूरी है पर सवाल फिर से वहीं आकर अटक जाता है कि आखिर बिजली बनती कैसे है तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले है कि पानी से बिजली कैसे बनती है।

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है ?

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है

सबसे पहले तो हम आपको यह बता दें कि बिजली बनाने के लिए जिन मटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है उन्हें दो कैटेगरी में डिवाइड किया गया है पहली कैटेगरी होती है कन्वेंशनल रिसोर्स सोर्सेस की और दूसरी कैटेगरी को अनकन्विंसिंग कहा जाता है और जिस जगह बिजली बनती है उस जगह को पावर प्लांट कहते हैं अब जैसे कि अगर पानी से बिजली बनाई जा रही है तो उसे हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट कहते हैं अगर कोयले से बिजली बनाई जाती है तो उसे स्टीम पावर प्लांट या फिर थर्मल पावर प्लांट कहा जाता है और अगर न्यूक्लियर एनर्जी के इस्तेमाल से बिजली बनती है तो उसे न्यूक्लियर पावर प्लांट कहते हैं।

इस तरीके से पानी से बिजली बनायी जाती है

वैसे अगर देखा जाए तो आज के टाइम पर बिजली बनाने के लिए दुनिया भर के कई तरह के अलग-अलग मटेरियल इस्तेमाल में आते हैं लेकिन जब बात पानी से बिजली बनने की आती है तो मामला थोड़ा बदल जाता है बिजली बनाने के लिए पानी का इस्तेमाल दो तरीके से होता है जहां पहले तो पानी को गर्म करके उसे स्टीम यानी भाप में कन्वर्ट किया जाता है और फिर उस स्टीम को स्टीम टरबाइन से पास करवाया जाता है जिसकी वजह से टरबाइन रोटेट करती है और फिर वह टरबाइन जनरेटर से कनेक्ट हो जाती है

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है

जिसकी वजह से टरबाइन के साथ-साथ जनरेटर की मैग्नेटिक कॉइल भी घूमती है और इससे इलेक्ट्रिक एनर्जी का निर्माण होता है लेकिन ये तरीका हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर जनरेशन का नहीं होता क्योंकि इसमें पानी को डायरेक्टली इस्तेमाल नहीं किया जाता पहले कोयला या फिर दूसरे पदार्थ को ले जाकर एनर्जी प्रोड्यूस करके वाटर से स्टीम बनाई जाती है और फिर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट होती है।

हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट में पानी से बिजली कैसे बनती है

अगर हम हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट की बात करें तो बहुत सिंपल सी बात है अगर पानी किसी जगह पर बिल्कुल शांत और स्थिर है तो उसमें कोई भी पावर नहीं है उससे बिजली बनाने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता लेकिन अगर पानी मूव करता रहता है या फिर ऊंचाई से नीचे की तरफ गिरता है तो उसके पास एक एनर्जी क्रिएट होती है

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है

जिसे हाइड्रो पावर कहा जाता है बस अब उसी हाइड्रो पावर को इलेक्ट्रिक पावर में कन्वर्ट करना होता है और ऐसा करने में टरबाइन सबसे बड़ा रोल प्ले करता है क्योंकि इसी के घूमने की वजह से इलेक्ट्रिसिटी बनती है हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट के खास तौर पर चार कंपोनेंट होते हैं डैम, पेनस्टॉक, वाटर टरबाइन और जनरेटर

डैम क्या होता है ?

सबसे पहले अगर हम डैम की बात करें तो दोस्तों डैम या बांध एक रिजर्वायर होता है जिसमें पानी को स्टोर करके रखा जाता है बांध को किसी बड़े वाटर सोर्स के पास बनाया जाता है और इसे बनाने से पहले सिविल इंजीनियर्स को काफी रिसर्च करनी पड़ती है जैसे नदी में पानी क्या है क्या उस पानी को रोककर बिजली बनाई जा सकती है इतने सारे पानी को होल्ड करने के लिए बांध में कितनी ताकत होनी चाहिए बांध का साइज कितना होना चाहिए जब ये सब कुछ पता चल जाता है तब जाकर बांध को नदी पर बनाया जाता है

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है

भारत में बिजली उत्पादन के लिए कई सारी नदियों पर डैम बनाए गए हैं। अगर कोई भी चीज ऊंचाई पर रखी है तो उसके पास एक एनर्जी होती है जिसे पोटेंशियल एनर्जी कहा जाता है इसी तरह जब बांध में पानी का लेवल बढ़ता है तो उसकी पोटेंशियल एनर्जी बढ़ती चली जाती है बांध की ऊंचाई जितनी ज्यादा होगी पानी को उतनी ऊंचाई तक स्टोर किया जा सकता है और ऊंचाई बढ़ने से पानी की पोटेंशियल एनर्जी भी बढ़ती है और फिर ज्यादा बिजली पैदा होती है

पेन स्टॉक क्या है ?

अब आते हैं पेन स्टॉक क्योंकि डैम से निकालने के लिए पानी को बड़े-बड़े पाइप्स का इस्तेमाल करना होता है और इन पाइप्स को ही पैन स्टॉक कहा जाता है जहां इन पाइप्स के एक सिरे को बड़ा बनाया जाता है और दूसरे सिरे के डायमीटर को कम रखा जाता है चौड़े मुंह वाले सिरे को बांध से कनेक्ट कर देते हैं और पतले मुंह वाले सिरे को टरबाइन से कनेक्ट कर देते हैं

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है
Credit: Regalo Hope Found

वाटर टरबाइन किसे कहते है

इसके बाद अब बारी आती है वाटर टरबाइन की क्योंकि यह और कुछ नहीं बल्कि एक रोटेटिंग मशीन है जिसमें कई सारे ब्लेडसो हैं जब ऊंचाई से गिरता पानी पेन स्टॉक से होते हुए ब्लेडसिस्टम लगता है और इसकी स्पीड वाटर की एनर्जी पर डिपेंड करती है पानी जितनी ज्यादा ऊंचाई पर होता है नीचे गिरने पर उसकी स्पीड उतनी ज्यादा तेज होती है ज्यादा स्पीड होने पर पानी के पास ज्यादा एनर्जी होती है जब ज्यादा एनर्जी के साथ पानी टरबाइन के रोटर पर गिरता है तो रोटर की स्पीड ज्यादा होती है जिसकी वजह से पानी की काइनेटिक एनर्जी मैकेनिकल एनर्जी में कन्वर्ट हो जाती है

पानी से बिजली कैसे बनायी जाती है

यहाँ पर टरबाइन भी दो तरीके के होते हैं एक होता है रिएक्शन टरबाइन एक होता है इंपल्स टरबाइन

रिएक्शन टरबाइन: जहां रिएक्शन टरबाइन में वाटर का प्रेशर और काइनेटिक एनर्जी दोनों का कन्वर्जन मैकेनिकल एनर्जी में होता है इस तरह के टरबाइन पूरी तरह से पैक होते हैं और हाई पावर इलेक्ट्रिसिटी जनरेशन के लिए रिएक्शन टरबाइन का इस्तेमाल होता है

इंपल्स टरबाइन: इंपल्स टरबाइन का इस्तेमाल लो पावर जनरेशन पावर प्लांट में किया जाता है

जनरेटर किसे कहते है

जनरेटर इसे शाफ्ट की मदद से टरबाइन के रोटर से इस तरह से कनेक्ट किया जाता है कि रोटर के रोटेट करने से जनरेटर की कॉइल्स भी रोटेट करने लगती है जिसकी वजह से इलेक्ट्रिक एनर्जी जनरेट होती है ऐसे में दोस्तों ये सभी कंपोनेंट मिलाकर बिजली बनाते हैं जहां पहले तो बांध में पानी को इकट्ठा किया जाता है और फिर उसके ऊपरी वाले हिस्से में कई सारे पाइप लगे होते हैं उन्हीं पाइप से होते हुए डैम का पानी नीचे टरबाइन की तरफ गिरता है

जैसे-जैसे पानी नीचे आ रहा है इसकी पोटेंशियल एनर्जी काइनेटिक एनर्जी में बदलती जा रही है और फिर हाई स्पीड और हाई प्रेशर के साथ पानी टरबाइन के इन ब्लेडसिस्टम के कारण ब्लेडसो दोनों घूमने लगते हैं फिर रोटर जो कि जनरेटर से कनेक्ट होता है उसकी कॉइल्स भी रोटेट करती है जिसकी वजह से बिजली का उत्पादन होता है

एक बार बिजली का उत्पादन हो जाता है फिर ट्रांसमिशन लाइन से अलग-अलग जगहों पर बिजली को सप्लाई किया जाता है तो दोस्तों यह था पानी से बिजली बनाने का पूरा प्रोसेस जो धीरे-धीरे भारत में सबसे ज्यादा पॉपुलर हो रहा है भारत में लगातार डैम की संख्या बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से इलेक्ट्रिक पावर जनरेशन भी बढ़ रहा है क्योंकि बिजली की जो खपत है वह पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा बढ़ गई है जिसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार कोशिशें कर रही है कई सारे हाइड्रो पावर प्लांट काम कर रहे हैं।

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हर्षित मिश्रा इस वेबसाइट के टेक्निकल चीफ एडिटर और राइटर हैं, इन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और वेबसाइट डेवलपमेंट और कंटेन्ट मार्केटिंग में 6+ वर्षों का अनुभव है।
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