भारतीय जेलों में कैसी होती है कैदियों की जिंदगी ? 

भारतीय जेलों में कैसी होती है कैदियों की जिंदगी बच्चा बच्चा यह जानता है कि अगर उससे कानून के दायरे के खिलाफ कोई गलती होगी तो उसे जेल जाना पड़ेगा और फिर वहां पर उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी क्योंकि मुजरिम होने के नाते उसे पूरी तरह से नजरबंद रखा जाएगा और उसी जेल में उसे अपनी जिंदगी काटनी है

हमें पता इस तरह की जिंदगी के बारे में सोचकर ही इन लोगों की रूह कांपने लगती है पर यह भी सच है कि यहां न सिर्फ लोग रहते हैं बल्कि कुछ लोगों को अपनी पूरी जिंदगी जेल में बितानी पड़ती है ऐसे में उनकी जिंदगी किस तरह होती है और उनके रोजमर्रा मैं क्या-क्या चीजें शामिल होती है आज के इस आर्टिकल में जानने वाले है।

जेल क्यों भेजा जाता है

इस दुनिया में सबसे पहली चीज जो हर इंसान को मिली है वो है आजादी जहां पर वह कभी भी कुछ भी अपनी मर्जी के हिसाब से कर सकता है लेकिन अगर एक बार उसी आजादी का नाजायज फायदा उठाकर उसने कोई ऐसा काम कर दिया जो कानून के खिलाफ है तो उसकी आजादी छिन जाती है और उसे जेल भेजने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है क्योंकि कोई मुजरिम जुर्म करता है तो उसे डायरेक्ट जेल नहीं भेजा जाता बल्कि उसके ऊपर क्राइम के चार्जेस लगते हैं और फिर उसे कस्टडी में रखा जाता है

जिसके बाद यह तय किया जाता है कि उसे बेल मिलेगी या नहीं अगर उसका जुर्म बड़ा होता है तो मुजरिम को बेल भी नहीं मिलती और कोर्ट-कचहरी के चक्कर शुरू हो जाते हैं और कोर्ट-कचहरी के चक्कर जब लगते हैं तब तक मुजरिम को जेल में ही रहना पड़ता है और यह बताने की जरूरत भी नहीं है कि अगर एक बार कोर्ट-कचहरी का चक्कर शुरू हुआ तो वह जिंदगी भर चलता ही रहता है हां वह बात अलग है कि आपके पास पैसा है तो आपको तुरंत अपना काम करवा लेंगे वरना आधे से ज्यादा केसेस अभी भी पेंडिंग है जिसकी सुनवाई नहीं हो रही है।

चेकिंग और मेडिकल करके भेजा जाता है जेल

जब किसी कैदी को जेल में लाया जाता है तो सबसे पहले उसकी पूरी चेकिंग होती है कि कहीं उसके पास कोई हथियार वगैरा तो नहीं है और जब सारी चैटिंग हो जाती है तो मेडिकल चेकअप भी होता है और इन सभी प्रोसेस से गुजरने के बाद कैदी को जेल के अंदर छोड़ा जाता है और यहां कैदी को यूनिफार्म और कैदी नंबर दिया जाता है

Patrika

हालांकि जिन कैदियों का जुर्म छोटा होता है और उनके बारे में पता होता है कि यह जल्दी चले जाएंगे तो उन्हें यूनिफार्म और कैदी नंबर नहीं दिया जाता बल्कि वह अपने ही कपड़ों में जेल में रह सकते हैं और यहीं से दोस्तों एक कैदी की जेल की जिंदगी शुरू होती है जहां पर जेल में पुराने और बड़े जुर्म करने वाले कैदी अपना वर्चस्व रखते हैं और अपना सारा काम नए कैदियों से करवाते हैं।

कैदियों के सेहत का ख्याल रखा जाता है

वैसे तो जेल के अधिकतर काम कैदी ही करते हैं चाहे वह साफ-सफाई हो या फिर खाना बनाना पर अगर आपको यह लगता है कि जेल में फिल्मों की तरह दिखाया जाने वाला रूखा-सूखा खाना मिलता है तो हम आपको बता देंगे ऐसा कुछ भी नहीं है हर जैल का अपना एक टाइम टेबल होता है हां कुछ जेल ऐसे जरूर होते हैं यहां पर कैदियों को ठीक से खाना नहीं मिलता

लेकिन अधिकतर जेलों में कैदियों के खाने पर ध्यान दिया जाता है और उन्हें सादा और स्वच्छ खाना दिया जाता है ताकि कैदी बीमार न पड़ें क्योंकि किसी भी कैदी का बीमार पड़ना जेल वालों के लिए घाटे का ही सौदा होगा इसलिए उन्हें हमेशा सुरक्षित रखने की कोशिश की जाती है।

जेल में पैसे की जगह टोकन दिया जाता है

अगर कैदी चाहे तो जेल में मौजूद कैंटीन से अपने लिए खाना खरीद सकते हैं पर जेल में कुछ भी खरीदने के लिए पैसे नहीं मिलते बल्कि यहां पर टोकन के इस्तेमाल किया जाता है और हर कैदी का अपना एक अलग टोकन होता है ताकि कोई किसी दूसरे का टोकन छीनने चोरी करने की कोशिश ना करें कैदियों से मिलने के लिए उनके घर वाले एक निर्धारित समय पर ही जा सकते हैं

जिसके लिए उन्हें पहले से ही अपनी एंट्री करवानी पड़ती है ताकि यह पता चल सके कि कौन से कह दी से कौन सा शख्स कम मिलने आ रहा है और यह सारी चीजें सीक्वेंस में होती हैं और कैदियों के घरवाले उनसे मिलकर खाने-पीने की चीज़ों टोकन के साथ-साथ कंबल रजाई वगैरह भी ले सकते हैं।

जेल में कैदी को समय से खाना दिया जाता है

दोस्तों कैदियों के खाने की बात करें तो उन्हें दो हफ्ते में पोहा या उपमा दिया जाता है दोपहर के खाने में रोटी सब्जी और दाल मिलती है और सब कुछ कम मसाला और नमक होता है ठीक इसी तरह शाम 7:00 कैदियों को खाना मिलता है अब उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं है कि कोई कह दी उसे 7:00 बजे खाता है या फिर 10:00 बजे 7:00 बजे सबके पास खाना पहुंच जाता है हालाकि जेल में त्योहार वाले दिन स्वादिष्ट भोजन और मिठाई वगैराह बनाते हैं।

जेल में कैदियों से काम करवाए जाते है

अगर हम बाहर आने वाले कैदियों के काम की बात करें तो सबको अपना अलग-अलग काम दिया जाता है जिसमें कोई सफाई करता है कोई खाना वगैरह बनाता है इसके अलावा भी जेल में कई सारे काम होते हैं और सभी कैदियों को उनके हुनर के हिसाब से काम मिलते हैं जिसका हमको उन्हें पैसा भी मिलता है भले ही वह बाहर मिलने वाले पैसों के मुकाबले कम होता है लेकिन यह पैसा कैदियों का आत्मबल बनाए रखता है अभी आप संजय दत्त को देख लीजिए जब वह जेल में थे तो उन्हें भी पेपर बैग बनाने के लिए दिया जाता था।

भारतीय जेलों में कैसी होती है कैदियों की जिंदगी ? 

हालांकि देश की हर जेल में इसी तरह के नियम कानून चलते हैं लेकिन जेल राज्य सरकार के नियंत्रण में होती है इसलिए हर राज्य का हिस्सा कि जिलों के नियम थोड़े बहुत इधर-उधर हो सकते हैं वरना तो सभी जिलों में खाना मिलने से लेकर खाना बनने तक का तरीका और काम करने का नियम सब कुछ एक ही है अगर कुछ बदलता होगा तो वह कैदियों के लिए जेल का व्यवहार क्योंकि कुछ जैसे होते हैं जहां पर कैदियों को काफी कड़े नियम-कानून उड़ते हैं जहां पर कुछ जेल तो किसी से बात करने की भी इजाजत नहीं देते और कुछ जैल ऐसे होते हैं जहां पर कैदी बड़े आराम से रह सकते हैं।

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हर्षित मिश्रा इस वेबसाइट के टेक्निकल चीफ एडिटर और राइटर हैं, इन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और वेबसाइट डेवलपमेंट और कंटेन्ट मार्केटिंग में 6+ वर्षों का अनुभव है।
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