क्या 9 साल बाद पाकिस्तान जाएंगे नरेंद्र मोदी

क्या 9 साल बाद पाकिस्तान जाएंगे नरेंद्र मोदी

PM Letest News: जब से देश आजाद हुआ है तब से लेकर अब तक पाकिस्तान और भारत के बीच की दुश्मनी जगजाहिर है लेकिन ऐसे में एक खबर इंटरनेट से लेकर दुनिया भर में तेजी से फैल रही है कि PM मोदी को पाकिस्तान आने का न्योता मिला है, ऐसा पहली बार हुआ है जब देश के किसी प्रधानमंत्री को खुद पाकिस्तान आने का न्योता मिला हो, जी हाँ आप सही सुन रहे हैं

दरअसल हुआ ये है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को खुद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज सरीफ ने अपने देश का आने का न्योता भेजा है लेकिन अब देखना ये है कि क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस न्योते को स्वीकार करके पाकिस्तान जायेंगे या नहीं इस पर अभी आधिकारिक बयान आना बाकी है लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम है। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि PM मोदी को पाकिस्तान आने का न्योता दिया गया है आइए इस आर्टिकल में पढ़ते हैं।

क्यों आया पाकिस्तान से न्योता

दरअसल पिछली बार की तरह मोदी पाकिस्तान शरीफ परिवार की किसी शादी या किसी समारोह में नहीं जा रहे हैं बल्कि 15 – 16 अक्टूबर को पाकिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट्स (सीएचजी) की एक बैठक में शामिल होने के लिए बुलाया गया है, विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता देकर अपने देश बुलाना कोई राजनीतिक स्टंट नहीं बल्कि ये प्रोटोकाल है क्योंकि ये न्योता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा इस संगठन से जुड़े देशो को भी निमंत्रण भेजा गया है।

क्या मोदी पाकिस्तान जा सकते है

अब सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान से निमंत्रण आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये निमंत्रण स्वीकार करके पाकिस्तान जायेगें या नहीं देखिए अभी तक इसमें कोई आधिकारिक पुष्टि तो नहीं हुई है लेकिन बड़े बड़े राजनीतिक पंडितों और विश्लेषकों का मानना है की PM मोदी पाकिस्तान में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन के इस बैठक में शामिल नहीं होगें बल्कि उनके स्थान पर किसी मंत्री को पाकिस्तान देश का प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा जाएगा क्योंकि पिछले साल SCO की CHG बैठक किर्गिस्तान की कैपिटल बिश्केक में होस्ट की गयी थी और इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व वर्तमान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की थी

इस बैठक में जाना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों इस संगठन के स्थाई सदस्य है, इस बैठक का नेतृत्व वैसे तो चीन और रूस ही करते हैं लेकिन इस बार शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता पाकिस्तान के पास है और भारत इस बात से सतर्क भी है।

शंघाई सहयोग संगठन क्या है

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation-SCO) साल 2001 में शंघाई फाइव के विस्तार के बाद अस्तित्त्व में आया था। शंघाई फाइव’ का गठन साल 1996 में रूस, चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान और ताजिकिस्तान जैसे देशों ने एक साथ मिलकर किया था। भारत और पाकिस्तान को साल 2017 में इस संगठन का स्थायी सदस्य घोषित किया गया था और 2023 में ईरान को भी इस संगठन का पर्यवेक्षक सदस्य बनाया गया था इसके अलावा अफगानिस्तान, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया शंघाई सहयोग संगठन में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं। 

संघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य

  • इस संगठन का उद्देश्य राजनीतिक, आर्थिक, सैन्य, और सुरक्षा के क्षेत्रों में अपने संबंधों को मज़बूत करना है
  • शंघाई सहयोग संगठन से जुड़े सदस्य देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बनाना
  • सांस्कृतिक, तकनीकी, राजनीतिक और आर्थिक स्तरों पर कुशल सहयोग बढ़ाना।
  • आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से लड़ने में सहायता करना
  • सदस्य देशों के सामने आने वाली तत्काल चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना
  • मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना

सदस्य देश

  • चीन
  • भारत
  • कज़ाकिस्तान
  • किर्गिस्तान
  • पाकिस्तान
  • रूस
  • ताजिकिस्तान
  • उज़्बेकिस्तान

इसके अलावा, एससीओ में चार पर्यवेक्षक देश भी हैं

  • अफ़ग़ानिस्तान
  • बेलारूस
  • ईरान,
  • मंगोलिया
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हर्षित मिश्रा इस वेबसाइट के टेक्निकल चीफ एडिटर और राइटर हैं, इन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है और वेबसाइट डेवलपमेंट और कंटेन्ट मार्केटिंग में 6+ वर्षों का अनुभव है।
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