Digital Payment Charge: डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने में भारत ने कोई कसर नहीं छोड़ी डिजिटल भारत का सपना प्रधानमंत्री मोदी ने देखा और इसकी और तेजी से काम भी हुआ इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनिया भर में अगर आप देखें तो डिजिटल भुगतान में भारत की हिस्सेदारी 46% है और इसमें भी अगर हम बात करें तो भारत में होने वाले डिजिटल लेनदेन में यूपीआई की हिस्सेदारी 80% है
अब आलम यह है कि एक पल को यूपीआई ना चले तो दुनिया ठप सी पड़ जाती है यूपीआई से लेनदेन करने पर फिलहाल कोई चार्ज नहीं वसूला जाता लेकिन समय-समय पर यूपीआई पेमेंट पर चार्ज वसूलने की खबर चर्चा में आती है और कई बार सरकार ने इसे सिरे से खारिज भी किया है लेकिन क्या आपको पता है कि डिजिटल पेमेंट करने पर आपकी जेब से पैसे तो जाते हैं पूरी खबर आपको समझाते हैं
Digital Payment में बैंक ले रहे है एक्स्ट्रा चार्ज
डिजिटल लेनदेन का तरीका भारत ने पूरा बदल दिया है बैंकों और आरबीआई ने लोगों से डिजिटल भुगतान कराने में एक बड़ा काम किया है और यूपीआई की दुनिया भर में सराहना भी हुई है यहां तक कि आरटीजीएस एनईएफटी की शुरुआत आईएमपीएस की सीमा बढ़ाना और इसको 24 * 7 सर्विस में बनाए रखना एक गेम चेंजर साबित हुआ है लेकिन कुछ बैंकों ने पहले ही डिजिटल भुगतान पर सेवा शुल्क लेना शुरू कर दिया है यानी चार्ज लगाना शुरू कर दिया है और दूसरे बैंक भी ऐसा करने की सोच रहे हैं

Digital Payment में इतना लगेगा एक्स्ट्रा चार्ज
Digital Payment Charge: डिजिटल पेमेंट्स के माध्यम से खर्च किए गए हर 1000 रुपये पर 1.1% का चार्ज लगाने का मतलब है कि यूजर्स को डिजिटल रूप से खर्च किए गए ₹1000 के लिए ₹1 का नुकसान उठाना होगा, अब देखिए आईसीआईसी के वेबसाइट पर जाएंगे तो आपको साफ देखने को मिलेगा कि एनईएफटी के माध्यम से 1000 रुपये के ट्रांजैक्शन पर आपको ₹2.50 की प्लस जीएसटी यानी करीब-करीब तीन या 3.50 रुपये तक का एक्स्ट्रा भुगतान करना पड़ेगा और ऐसे ही अगर आप 5 से 10 लाख का ट्रांजैक्शन करते हैं तो 24.75 रुपये प्लस जीएसटी लगभग ₹25 रुपये से अधिक का चार्ज आपको देना होगा
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ग्राहक क्यों दे Digital Payment Charge
अब सवाल ये है कि ये एक्स्ट्रा चार्ज ग्राहक क्यों दे तो देखिए डिजिटल पेमेंट की वजह से बैंको में आने वाले लोगों की संख्या में काफी कमी आयी है पब्लिक सेक्टर में 2014 – 2015 के दौरान 90 शाखाएं, 2015 – 16 में 126 शाखाएं 2016 – 17 में 253 शाखाएं 2017 – 18 में 2083 शाखाएं और 2018 – 19 के दौरान करीब-करीब 875 ब्रांचेस या तो बंद हो गई या उनका विलय यानी मर्जर कर दिया गया अब तक 3400 बैंक शाखाएं बंद हो चुकी हैं
लेकिन बैंक लगातार सरकार से पैसे मांग रहे हैं उनका दवा है कि यूपीआई इकोसिस्टम को बना रखने के लिए सोफिस्टिकेटेड डिजिटल इकोसिस्टम समय से ऑनलाइन ट्रांजैक्शंस और डिजिटली सिक्योरिटी को मैनेज करने के लिए पैसों की जरूरत है
बैंक कर रही है धोखा
यहां गौर करने वाली बात यह है कि डिजिटल पेमेंट से बैंकों के एक्सपेंसेस कम हुए हैं जी हां एक तो देखिए करेंसी प्रिंट करने में कमी आई है दूसरा जैसे कि मैंने बताया शाखाएं बंद हुए हैं तो स्टाफ्स में भी कमी आई है स्टाफ्स में भी कटौती की गई है और इस सबसे बैंकों की अच्छी खासी सेविंग हुई है एक्सपेंसेस कट हुए हैं, इसके अलावा आरबीआई की भी बात कर लेते हैं तो आरबीआई भी कम करेंसी छाप कर बचत कर रहा है और इस तरह इकोसिस्टम की लागत में कमी आ रही है इसलिए यह जरूरी है कि डिजिटल लेनदेन की लागत आरबीआई और बैंकों को दोनों को करनी चाहिए
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फिर से कैश की ओर बढ़ेगा इंडिया
अगर चार्ज लगाया जाता है तो यूजर्स इससे बचने के लिए कैश की ओर रुख करेंगे यूपीआई यूजर्स छोटी मात्रा में लेनदेन करते हैं और बार-बार करते हैं और बार-बार यह चार्ज देना उनके लिए अच्छा नहीं होगा और उनको अच्छा भी नहीं लगेगा और अगर यह चार्ज लगाया जाता है तो वह इसके प्रति संवेदनशील होते हैं फिर शायद यूजर्स कैश की ओर मूव कर जाए और यह एक रिग्रेसिव स्टेप होगा क्योंकि अभी इंडिया में सबसे ज्यादा डिजिटल पेमेंट की जाती है और इंडिया दुनिया में नंबर 1 ही बनना चाहेगा।