Indus Water Treaty: आजादी के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कभी कोई समझौता लंबे समय तक टिक नहीं पाया, किसी ना किसी वजह से भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते को टूटना पड़ा है ऐसे कई समझौते हुए जिनका उल्लंघन खुद पाकिस्तान ने किया इस बात को पाकिस्तानी पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने स्वीकार किया था, चाहे 1999 में हुए लाहौर शांति समझौते की बात करें या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने की पाकिस्तान ने हमेशा से ही अपना दोगला रवैया रखा है
इंडिया ने पाकिस्तान को भेजा नोटिस
इन्हीं सब को देखते हुए एक बार फिर सवाल उठने लगा कि क्या 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सिंधु समझौते के भी टूटने का वक्त आ गया क्योंकि हाल ही में भारत सरकार ने इस समझौते को लेकर पाकिस्तान को नोटिस भेजा है और इस समझौते को लेकर मीटिंग करने की बात कही है बताया जा रहा है कि इस नोटिस की वजह भारत और पाकिस्तान के खराब रिश्ते हैं आए दिन पाकिस्तान बॉर्डर पर सीस फायर का उल्लंघन करता रहता है इसके अलावा जिस आतंकवाद का भारत विरोध करता है उस आतंकवाद को पाकिस्तान बढ़ावा देता है जानकारों की माने तो इन्हीं वजहों की वजह से भारत सिंधु जल समझौते पर मीटिंग करना चाहता है।
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कैसे हुआ Indus Water Treaty का बंटवारा
वैसे तो हमेशा इस समझौते को लेकर मीटिंग होती है लेकिन इस बार बात कुछ अलग है आपको बता दें कि इस समझौते के तहत कुल छह नदियों को शामिल किया गया है जिनमें सिंधु, झेलम, चिनाब, सतलुज व्यास और रावी नदी शामिल है इस समझौते के अनुसार नदियों को पश्चिमी और पूर्वी दो भागों में बांट दिया गया तीन पश्चिमी नदियां सिंधु, चिनाब और झेलम पाकिस्तान के हिस्से में चली गई जबकि तीन पूर्वी नदियां रावी सतलुज और व्यास भारत के हिस्से में आ गई

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समझौते की ये थी शर्त
इन नदियों का बटवारा देख के भले ही आपको लगता है कि बटवारा तो बराबर का हुआ है लेकिन आपको बता दें कि इस समझौते का सीधा लाभ पाकिस्तान को मिला क्योंकि इस समझौते के अनुसार भारत ने 80% जल पाकिस्तान को देने पर राजी हो गया था जबकि 20% जल ही भारत को प्राप्त हुआ इसके अलावा इस समझौते के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर नहर बनाने के लिए 83 करोड़ रुपए भी देने पड़े
भारत से पाकिस्तान जाने वाले नदियों के पानी का इस्तेमाल भारत बिजली बनाने के लिए भी नहीं कर सकता, इस संधि का दूसरा पक्ष यह भी है कि पूर्वी नदियों के संपूर्ण पानी का 80% इस्तेमाल भारत करेगा जबकि 20% पाकिस्तान करेगा पूर्वी नदियों के जल का इस्तेमाल भारत बिजली बनाने में कर सकता है
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भारत बदल सकता है नदियों का रास्ता
इसके अलावा संधि की समय यह भी कहा गया था कि भविष्य में दोनों देशों के बीच हालात कुछ भी हो लेकिन यह समझौता कभी टूटेगा नहीं पाकिस्तान के इस समझौते के पीछे का उद्देश्य यह था कि अगर ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ तो भविष्य में भारत पाकिस्तान जाने वाली नदियों का रास्ता बदल सकता है जिससे पाकिस्तान प्यास से खत्म हो जाएगा क्या भारत को इस समझौते को खत्म कर देना चाहिए या नहीं कमेंट कर जरूर बताएं
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