हेरोइन का आविष्कार: क्या आपको पता है कि जिस हेरोइन को हम खतरनाक नशा मानते हैं वह कभी खांसी की दवा हुआ करती थी लेकिन इंसान के लालच ने इसे इंसान का ही दुश्मन बना दिया पिछले 20 सालों में सिर्फ अमेरिका में करीब 1.30 लाख से ज्यादा लोगों की मौत इस हीरोइन के ओवरडोज के कारण हुई है आखिर एक खांसी की दवा कैसे बन गई जान लेने वाली खतरनाक ड्रग्स इसकी शुरूआत कहां से हुई यह सारी जानकारियां आपको आज इस आर्टिकल में मिलने वाली है।
हेरोइन का आविष्कार

हेरोइन का आविष्कार, बात है साल 1880 के दशक के अंतिम दौर की जब हेरोइन को प्रयोगशाला यानि लैबोरेटरीज में तैयार किया गया तैयार होने के कई सालों बाद आज का यह नशीला पदार्थ खांसी की दवाओं में प्रयोग किया जाने लगा, बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक हेरोइन का रासायनिक नाम डायसेटाइल मार्फिन था हेरोइन के बनने की सबसे पुरानी रिपोर्ट साल 1874 के दौर की है इसे एक अंग्रेज रसायनशास्त्री पीआर राइट ने लंदन के सेंट मैरी हॉस्पिटल स्कूल ऑफ मेडिसिन में तैयार किया था शुरुआत में लोगों को इस बात की जानकारी थी कि इस दवा से लोगों को नशे की लत नहीं लगती और इसका दुष्प्रभाव भी कम होता है।
खांसी और सांस की दवा के रूप में होता था प्रयोग

साल 1897 तक हेरोइन को लेकर ट्रीटमेंट के दृष्टिकोण से कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई दी लेकिन जब प्रोफेसर हेनरी के नेतृत्व में जर्मन दवा कंपनी बायर की रिसर्च टीम ने मार्फिन और कोडीन की जगह कुछ और इस्तेमाल किए जाने को लेकर खोज और जांच की जिससे कि सांस की बीमारी वाले मरीजों को राहत दी जा सके तो हेरोइन का प्रयोग जोर पकड़ने लगा पहले हीरोइन युक्त दवाओं का जानवरों पर परीक्षण किया गया और उसके बाद इसे लोगों पर आजमाया गया इस परीक्षण से यह बात सामने आए कि डायसेटाइल मार्फिन खांसी में असरदार होने के साथ हुआ था कफ में भी राहत पहुंचाती है उस समय इसे हीरोइन ड्रग का नाम दिया गया।
बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन मिलता था हेरोइन
सन् 1998 में बायर कंपनी ने डायसेटाइल मार्फिन के इस्तेमाल से एक कफ़ स्प्रेसेंट बनाना शुरू किया जिसे नाम दिया गया हेरोइन, पाउडर के रूप में दी जाने वाली यह दवा 1 ग्राम, 5 ग्राम, 10 ग्राम और 25 ग्राम की डोज में दी जाती थी पाउडर के बाद इस दवा ने सिरफ फिर गोलियों और फिर सपोसिट्री का रूप लिया
साल 1899 तक कंपनी 20 से ज्यादा देशों में हेरोइन बेंच रही थी और जो हीरोइन गैर कानूनी है
वह 1914 तक बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के भी मिल जाया करती थी बाद में हीरोइन का प्रयोग सिर्फ खांसी या कब्ज की दवा के लिए नहीं बल्कि मार्फिन और शराब की लत छुड़वाने के लिए भी होने लगा इसके बाद हेरोइन का इस्तेमाल व्यवसायिक रूप में भी होने लगा व्यवसायिक लांच के साथ इसे लेकर ऐसी चेतावनियां दी जाने लगी कि हेरोइन की लत लग सकती है इस तरह धीरे-धीरे यह बात सामने आने लगी कि इसकी लत लग सकती है।
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1950 के बाद अपराधियों के हाथ लगा हेरोइन

साल 1950 के दशक में हेरोइन अपराधियों के बीच काफी लोकप्रिय होने कि वजह से इसे लेकर विवाद शुरू हो गया दरअसल अमेरिका में जेल के कुछ कैदियों को खांसी के लिए हेरोइन दी गई इसके बाद बाकी कैदियों में यह बात फैल गई कि यह एक अच्छा मादक पदार्थ या नशीला पदार्थ है जिसके बाद जेल के बाहर भी यह अफवाह फैल गई इसके साथ ही बाजार में हेरोइन कोकीन से सस्ती थी और इसे प्राप्त करना अफीम से भी ज़्यादा आसान था इस वजह से ज्यादा संख्या में लोग इसके आदी होते चले गए और धीरे-धीरे यह पदार्थ एक महंगा नशीला पदार्थ बन गया जिसकी वजह से लाखों लोगों की मौत हो चुकी है।