पाकिस्तान में इस वक्त अच्छा खासा बवाल मचा पड़ा हुआ है पाकिस्तान में बवाल इसलिए है क्योंकि कयास इस बात के लग रहे हैं कि बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा धीरे-धीरे पाकिस्तानी हुकूमत के हाथ से फिसलती चली जा रही है और तो और पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में भी अब बलूचिस्तान और खैबर पख्तून वा के इलाके को लेकर अच्छा खासा हंगामा बरपा हुआ है, दरअसल पाकिस्तान के बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में आजादी की लड़ाई चल रही है लोग सड़कों पर उतर आए है वो पाकिस्तान से अलग होना चाहते है और लोग खुलेआम आधुनिक बंदूकों से लैस होकर पाकिस्तान के खिलाफ गृहयुद्ध छेड़ रखा है।
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सरकार भी नहीं कर रही है हस्तछेप
यही वजह है कि बलूचिस्तान से आने वाले नेता और बलूचिस्तान नेशनल पार्टी के चीफ अख्तर मेंगल ने नेशनल असेंबली से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि देश की सरकार ने बलूचिस्तान में अपना विश्वास खो दिया है इसके अलावा उन्होंने यह भी आरोप लगाए हैंकि वहां के हालात से सरकार का कोई लेना देना नहीं है ना ही राष्ट्रपति ना ही प्रधानमंत्री वह किसी भी तरह से बलूचिस्तान के हालात को सुधारना चाहते हैं
प्रदर्शनकारियों के पास अत्याधुनिक हथियार है
इतना ही नहीं बात इससे आगे भी बढ़ी और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने भी नेशनल असेंबली में अपनी बातें रखी वहां नेशनल असेंबली में बात कहते हुए उन्होंने सरकार को आईना दिखा दिया आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने सनसनीखेज खुलासा किया और यह कहा कि बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा में हालात ऐसे हैं कि वहां ग्रुप बनाकर लोग रॉकेट लॉन्चर लेकर हाथों में चल रहे हैं उनके पास अत्याधुनिक हथियार आ गए हैं जिसके दम पर वहां वसूली हो रही है

इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान के हालात को सरकार वाकई में सुधारने में दिलचस्पी रखती है तो उसके लिए उन्हें वहां जमीन पर उतरना होगा और वहां के आम लोगों की आवाज सुननी पड़ेगी
प्रदर्शनकारियों से बातचीत है जरूरी
उन्होंने अपने अफगानिस्तान दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि हाल में जब मैं अफगानिस्तान के दौरे पर गया था वहां पाकिस्तान के लगते इलाकों को लेकर जो हालात थे उसे लेकर जब उन्होंने बात की तो हालात में सुधार आया इसी तरह की नीति अब सरकार को ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान के इलाके में अमल करने की जरूरत है जिससे वहां के कानून व्यवस्था को संभाला जा सके
स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज करना पाकिस्तान को भारी पड़ सकता है
इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि अगर वहां का स्थानीय नेताओं को नजरअंदाज किया गया तो इसका भी गंभीर परिणाम उन्हें भुगतना पड़ सकता है और यही वजह है कि हाल के दिनों में ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान के इलाके में ताबड़तोड़ तरीके से हमले हो रहे हैं जहां सैकड़ों की संख्या में लोग अब तक मारे जा चुके हैं हाल ही में 26 अगस्त को जब वहां एक बड़ा हमला हुआ जिसमें 70 से अधिक लोग मारे गए 14 से अधिक सुरक्षाकर्मी मारे गए तो उसे लेकर पूरे पाकिस्तान में हंगामा बरपा हुआ है और
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी जिस तरह से मजबूत होती चली जा रही है वह भी पाकिस्तान की सरकार के लिए अच्छा खासा चिंता का विषय है अब ऐसे में में पाकिस्तान के सारे खेमों से आवाज आने लगी है कि बलूचिस्तान और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के हालात को सुधारने के लिए सरकार को वाकई में जमीन पर उतर कर काम करना होगा वरना किसी भी दिन कोई गंभीर खतरा पूरे देश के सामने होगा